अजीब सी बात है कि इस गाँव में बाहर से आते हैं पंछी जिनका एक ही उद्देश्य होता है -आत्महत्या !!
असम में है ये गाँव जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. बात भी ऐसी ही है कि ज्यादा लोग जानें या कम लोग, क्या फर्क पड़ता है. फर्क तो तब पड़े जब इसका इलाज निकाल सके कोई.
असम के इस गाँव में जिसका नाम है जतिंगा. यहां जाने कितने सालों से ऐसा हो रहा है कि हर साल दो महीनो के लिए बाहर से उड़ कर आते हैं पंछी और यहां आत्महत्या कर लेते हैं. आत्महत्या करने का तरीका भी सीधा सा है. ये पक्षी जोर से उड़ते हुए आते हैं और किसी ठोस चीज़ से टकरा कर अपने प्राण गंवा देते हैं.
जतिंगा में हर साल नब्बे दिनों तक मौत का ये खेल चलता है. सितम्बर से ले कर नवम्बर माह तक पंछी उड़ते हुए यहां आते तो हैं पर जाते नहीं. असम के हीमा दसाओ जिले में स्थित जतिंगा गाँव को पंछियों की कब्रगाह भी कहा जा सकता है. नागा भाषा के शब्द जतिंगा का अर्थ है बारिश के पानी का पथ..लेकिन ये तो पक्षियों का मृत्यु-पथ बना हुआ है.
गौर से देखा गया तो पाया गया कि इस गाँव में करीब डेढ़ किलोमीटर का एक ऐसा क्षेत्र है जहां ये घटनाएं होती हैं. इस विस्तार के विशेष धरातल पर आ कर कई तरह के छोटे से बड़े पंछी भी भवनों की दीवालों से या पेड़ों की डालों से टकरा कर अपने प्राण गंवाते हैं.
एक शताब्दी से अधिक समय से चले आ रहे इस पंछियों के जानलेवा राज़ को कोई जान नहीं सका है. शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और यहां के रहवासियों ने बड़े प्रयत्न किये लेकिन सब ढाक के तीन पात.
वर्ष 1990 के बाद इस घटना की जानकारी दुनिया को मिली. यहां इस गाँव के रहने वाले लोग इसे प्रेत का साया मान कर गाँव खाली कर भाग गए. इसके बाद यहां जयंतिया जनजाति के लोग आ कर रहने लगे. उनके सामने भी ये घटनाएं होती रहीं पर उनको कोई डर नहीं लगा.