अंबेडकर जयंती के अवसर पर सोमवार को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) ने राजधानी पटना के बापू सभागार में एक बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में पार्टी प्रमुख पशुपति पारस ने एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा करते हुए बिहार की नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला। पारस ने कहा कि अब उनकी पार्टी का एनडीए से कोई संबंध नहीं रहेगा और वे राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी करेंगे।
पारस का नीतीश सरकार पर तीखा प्रहार
पारस ने मंच से बोलते हुए नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार को “दलित विरोधी” और “भ्रष्टाचार में लिप्त” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस सरकार में दलितों को दबाया जा रहा है, और खासकर शराबबंदी कानून के जरिए दलित समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि संसद में डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान किया गया। साथ ही, पारस ने केंद्र से स्वर्गीय रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की भी मांग की।
“अब हम अकेले लड़ेंगे चुनाव, सम्मान जहां मिलेगा वहीं जाएंगे” – पारस
आरएलजेपी प्रमुख ने स्पष्ट किया कि अब पार्टी एनडीए के साथ नहीं है। उन्होंने कहा,
“मैं आज यह घोषणा करने आया हूं कि अब से एनडीए से हमारा कोई संबंध नहीं है। हम सभी 243 सीटों पर अपनी तैयारी करेंगे। चुनाव के वक्त जो हमें सम्मान देगा, उसी के साथ जाएंगे।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि ये फैसला अकेले नहीं लिया गया है बल्कि पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
प्रिंस राज का नीतीश सरकार पर हमला: “शराबबंदी दलित विरोधी कानून”
इस मौके पर पूर्व सांसद प्रिंस राज ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि,
“नीतीश कुमार एक तरफ भीम संवाद करते हैं और दूसरी तरफ शराबबंदी के नाम पर दलितों और गरीबों को जेल भेजते हैं।”
प्रिंस राज ने शराबबंदी कानून को “दलित विरोधी कानून” बताते हुए कहा कि अगर आरएलजेपी की सरकार बनती है तो सबसे पहले उन निर्दोष दलितों को जेल से रिहा किया जाएगा जिन्हें झूठे मुकदमों में फंसाया गया है।
चिराग पासवान पर भी साधा निशाना
प्रिंस राज ने एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा,
“जो खुद को दलितों का हितैषी बताते हैं, वे आज बिहार में हो रहे दलित उत्पीड़न पर चुप क्यों हैं? शराबबंदी के नाम पर सिर्फ दलितों को टारगेट किया जा रहा है, लेकिन चिराग पासवान कुछ नहीं बोलते।”
क्या कहती है सियासत?
पशुपति पारस का एनडीए से अलग होना बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है, खासकर तब जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। RLJP के इस निर्णय से न केवल NDA को झटका लगा है बल्कि राज्य की दलित राजनीति भी नए सिरे से गरमा सकती है।
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अंबेडकर जयंती के मौके पर आरएलजेपी ने राजनीतिक भूचाल ला दिया है। पशुपति पारस ने जहां एनडीए से नाता तोड़ने का एलान किया, वहीं रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग के जरिए दलित मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि RLJP किस राजनीतिक खेमे का हिस्सा बनती है या अकेले मैदान में उतरती है।