चैत्र नवरात्रि के पावन नौ दिनों की शुरूआत हो गई है। इस चैत्र नवरात्रि माता रानी घोड़े पर सवार होकर आई हैं, जो बहुत शुभ माना गया है। देशभर में आज से चैत्र नवरात्रि के उत्सव की धूम है। इसमें लोग नौ दिनों तक व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा करते हैं।
नवरात्रि के इस अवसर पर लोग मंदिरों में मां दुर्गा रानी की आराधना करते हैं, और अनेक सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नवरात्रि का उत्सव लोग आनंद के साथ मनाते हैं और धार्मिक आधार पर एकता और सौहार्द को मजबूती से बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।
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नवरात्रि के नौ दिन माता रानी को समर्पित होते हैं। इस लिहाज से ये नौ दिन काफी शुभ माने गए हैं। लेकिन इस बार नवरात्रि पर खरमास का साया पड़ा है।
बता दें कि खरमास की शुरूआत 14 मार्च से हुई और 13 अप्रैल को ये समाप्त होंगे। यानि कि शुरूआत के पांच नवरात्रि में कोई भी शुभ कार्य नहीं हो सकते हैं। भक्त माता रानी की पूजा-पाठ कर सकते हैं लेकिन खरमास के चलते कोई मांगलिक या शुभ कार्य नहीं हो सकता है।
खरमास का मतलब क्या होता है?
जब सूर्य मीन राशि में हों तो पौष मास होता है। अर्थात पौष व चैत्र दोनों सौरमास खरमास कहलाता है।
एक प्रचलित कथा के अनुसार इस महीने सूर्य के रथ में खर (गदहा) जुड़ा रहता है। क्योंकि थका हुआ घोड़ा विश्राम करता है।
खरमास अशुभ क्यों है?
पवित्र हिंदू ग्रंथों के अनुसार, खरमास जिसे मलमास भी कहा जाता है, नए उद्यम शुरू करने और महत्वपूर्ण प्रयास करने के लिए एक अत्यंत अशुभ अवधि मानी जाती है।
पंचांग के अनुसार, इस अशुभ समय के दौरान सूर्य धनु या मीन राशि में गोचर करता है।
खरमास में न करें ये काम-
गृह निर्माण का कार्य नहीं करवाना चाहिए। खरमास में मुंडन, जनेऊ समेत सभी मागंलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास में शादी-विवाह या सगाई से जुड़ा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।