लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। जिसके बाद से इसके पक्ष और विपक्ष में लोग खड़े हो गए हैं।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत अब तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थी (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता मिल जाएगी। जिसके लिए उन्हें ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा और शरणार्थियों को कोई दस्तावेज भी नहीं देने होंगे।
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नागरिकता संशोधन कानून को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। वहीं हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने कई बार इसका जिक्र भी किया। अब लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सरकार ने इसे नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसे लागू कर दिया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम को इन पॉइट्स में जानें..
किन दस्तावेजों की होगी जरूरत
सीएए के बाद भारत की नागरिकता के लिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था की है। जिसमें ऑनलाइन फॉर्म में तीन तरह के शेड्यूल-1A,1B और 1C दिए गए हैं। जहां 1A में 9 तरह के दस्तावेज मांगे गए हैं, 1B में 20 तरह के और 1C में एक एफिडेविट देना होगा।
सबसे पहले गैर मुस्लिम शरणार्थी को अपना निवास स्थान सत्यापित करना होगा। जिसके लिए जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, जमीन से जुड़े पेपर्स दिखाने होंगे। अगर दस्तावेज नहीं हैं तो तो उसका कारण भी बता सकता है।
कैसे भरें फॉर्म
ऑनलाइन फॉर्म में माता-पिता या पति का नाम, कौन से देश से आए हैं और भारत में कब से रहे हैं, किस धर्म के हैं और भारत आने के बाद से क्या काम कर रहे हैं। ये सब जानकारी देना अनिवार्य है।
पोर्टल में शादीशुदा और गैर शादीशुदा के लिए अलग फॉर्म दिया गया है। भारत आने के बाद अगर किसी ने किसी भारतीय से शादी की है तो उसकी जानकारी देना अनिवार्य है। बच्चों की डिटेल्स के लिए अलग फॉर्म दिया गया है।
इस बीच कई लोगों के मन में ये सवाल आया था कि क्या सीएए किसी की नागरिकता छीनने का कानून है, तो जवाब है नहीं। गृहमंत्री ने अपने एक बयान में कहा था कि CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए गैर मुस्लिम छह समुदायों को नागरिकता देने वाला कानून है। इसमें किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रवधान नहीं है।
अब तक क्या-क्या हुआ
- नागरिकता संशोधन कानून को संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया।
- लोकसभा में 9 दिसंबर को पेश हुआ था, जहां निचले सदन में 311 वोट पक्ष में और 80 वोट विपक्ष में पड़े थे।
- वहीं, राज्य सभा में बिल पर पक्ष में 125 वोट मिले थे औऱ 105 वोट खिलाफ में पड़े थे।
- 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी।
- लेकिन सरकार ने इसे नोटिफाई नहीं किया था यानि लागू नहीं किया था।
- तभी देश भर में इसके खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हुए।
दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जगह-जगह पर कई विरोद प्रदर्शन हुए। इस दौरान हुए बवाल में 755 एफआईआर में 1,753 गिरफ्तारियां, 342 चार्ज सीट में 1,553 के नाम, 53 लोग मारे गए थे और 108 पुलिस कर्मियों सहित 581 घायल हुए थे।
वहीं उत्तर प्रदेश में करीब 1113 लोग गिरफ्तार हुए। और विरोध प्रदर्शन में 19 लोगों की मौत हुई थी।