बीजेपी ने इस बार लोकसभा चुनाव में 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रख कर चुनावी मैदान में उतरी। बीजेपी के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर आम कार्यकर्त्ता तक “अबकी बार 400 पार” का नारा लगाने लगें। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को 102 सीटों पर और दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को 88 सीटों पर हुआ। पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार मतदान कम हो रहा है। पहले चरण के मतदान के बाद ही बीजेपी ने “अबकी बार 400 पार” का नारा लगाना बंद कर दी। आखिर ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी को इस नारा से पीछे हटना पड़ा ?
पहले चरण में कितना प्रतिशत कम मतदान हुआ ?
लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को 102 सीटों पर हुआ। पहले चरण में 65.5% मतदान हुआ जोकि 2019 के मुकाबले लगभग पांच प्रतिशत कम रहा। इसमें भी एनडीए गठबंधन के जीते हुए उम्मीदवारों की सीटों पर 4-5 प्रतिशत कम मतदान हुआ। वहीं इंडिया गठबंधन के जीते हुए उम्मीदवारों की सीटों पर 2 से 2.5 प्रतिशत कम मतदान हुआ।
दूसरे चरण में कितना प्रतिशत कम मतदान हुआ ?
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को 88 सीटों पर हुआ। इस चरण में 61% मतदान हुआ जोकि 2019 के मुकाबले सात प्रतिशत कम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरे चरण की 88 सीटों में से 52 सीटों पर बीजेपी, 18 सीटों पर कांग्रेस, शिवसेना और जेडीयू को 4-4 , और अन्य को नौ सीटों पर जीत मिली थी।
मतदान कम होने का क्या है कारण?
दोनों चरणों में मतदान कम होने का कारण अधिक गर्मी, वोटर में उत्साह न होना, 2014 जैसा मोदी लहर और 2019 में पुलवामा में हुए घटना के कारण राष्ट्रवाद जैसा मुद्दा का न होना भी कारण है। इसके साथ ही विपक्ष में मजबूत चेहरा और विकल्प न होना भी कारण है। इस बार बीजेपी के कार्यकर्त्ता और वोटर में भी वह उत्साह नहीं है जो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में था।
बीजेपी ने “अबकी बार 400 पार” का नारा लगाना बंद क्यों किया?
बीजेपी ने “अबकी बार 400 पार” का नारा लगाना इसलिए बंद किया क्योंकि इससे बीजेपी का कार्यकर्त्ता घर बैठ गया। वह आश्वस्त हो गया कि 400 सीट तो आ ही रही है तो वह क्यों उतना मेहनत करें। यही हाल बीजेपी के वोटर का भी रहा। वही भी बीजेपी की सरकार बनने को लेकर आश्वस्त हो गया। इस कारण वोटिंग कम हुई। बीजेपी नेतृत्व के पास यह फीडबैक पहुंची। उसके बाद उसने अपने संगठन को संदेश भेजवाया।
प्रधानमंत्री मोदी से लेकर बीजेपी के सभी नेता ने कांग्रेस पर हमले की धार बढ़ा दी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 2006 में दिया गया बयान को केंद्र बिंदु में रखकर कांग्रेस पर मुस्लिम परस्ती का आरोप लगाया जाने लगा। पीएम ने महिलाओं की मंगलसूत्र कांग्रेस द्वारा लिए जाने की बात कही। जिसके कारण चुनावी तापमान बढ़ा। यह सब हुआ पहले चरण के मतदान के बाद। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ने के बजाय और कम ही हो गई।
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विपक्ष द्वारा संविधान और आरक्षण खत्म करने का लगा आरोप
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने यह कहना शुरू कर दिया कि बीजेपी 400 सीट इसलिए मांग रही है क्योंकि उसे संविधान बदलना है और आरक्षण खत्म करना है। संविधान बदलने की बात बीजेपी के कुछ नेताओं द्वारा भी की गई। जिससे इसको और बल मिला। कहीं न कहीं यह बात अनुसूचित जाति एवं जनजाति और आरक्षित वर्गों तक पहुंच गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इसपर सफाई दी। पीएम मोदी ने तो बैंगलोर और आंध्रप्रदेश का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस एससी-एसटी का आरक्षण लेकर मुस्लिमों को दे देगी।
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हालांकि यह बहुत कम देखने को मिलता है कि विपक्ष नैरेटिव सेट करे और बीजेपी उसका पीछा करे। आपको याद होगा कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण पर समीक्षा करने की बात कही थी। जिसे विपक्ष ने लपक लिया और यह बीजेपी के हार का सबसे बड़ा कारण बनीं।