देश की सैन्य शक्ति और वीरता का प्रतीक बना ऑपरेशन सिंदूर अब उत्तराखंड के मदरसों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगा। मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष शगुन काजमी ने इस ऐतिहासिक निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि भारत की सैन्य उपलब्धियों को मदरसों में पढ़ाया जाना समय की मांग है, जिससे छात्रों में देशभक्ति की भावना और मजबूत हो।
शगुन काजमी ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की वीरता और रणनीतिक क्षमता का प्रतीक है। इस मिशन ने न केवल देश का गौरव बढ़ाया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।”
मदरसों में राष्ट्रीय चेतना को मिलेगा स्थान
मदरसा बोर्ड का यह कदम शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और सुरक्षाबलों के प्रति सम्मान जगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। काजमी ने कहा कि जब भारत की सेना पहलगाम हमले का जवाब देने के लिए दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर साहसिक कार्रवाई करती है, तो यह केवल एक सैन्य अभियान नहीं होता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारे मदरसों के बच्चे भी जानें कि भारतीय सेना ने किस प्रकार से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और उन निर्दोष लोगों की शहादत का बदला लिया, जिनकी जानें पहलगाम में कायराना हमले में चली गई थीं।”

शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रभक्ति का संदेश
मदरसों में ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि छात्रों में देश के प्रति समर्पण और सेना के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड इस बदलाव को 2025 के शैक्षणिक सत्र से लागू करने की तैयारी कर रहा है।
देशभर में बन सकती है मिसाल
उत्तराखंड की यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। यदि अन्य राज्य भी अपने-अपने शैक्षणिक संस्थानों में सैन्य अभियानों और वीरता की गाथाओं को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाते हैं, तो यह राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा बलों के प्रति सम्मान को और अधिक मजबूत कर सकता है।
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उत्तराखंड मदरसा बोर्ड का यह निर्णय शिक्षा और राष्ट्रभक्ति को जोड़ने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे साहसिक अभियानों को पाठ्यक्रम में शामिल कर नई पीढ़ी को न केवल जानकारी दी जाएगी, बल्कि उन्हें यह भी सिखाया जाएगा कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वालों का सम्मान करना क्यों जरूरी है।