केंद्र सरकार गांव में किसानों और गरीब तबकों के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए समय-समय पर कई योजनाएं चलाती रहती है। खबर है कि केंद्र सरकार एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है जिससे गांव की पंचायतें भी कमाई कर पाएंगी। इन कमाई के पैसों का उपयोग पंचायतें गांव का विकास में करेंगी। केंद्र सरकार पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए नियम बनाने की तैयारी में है।
खबरों की मानें तो केंद्र सरकार, राज्य विधानमंडल पंचायतों को संविधान के अनुच्छेद 243एच (Article 243H) के तहत कर, शुल्क, पथकर आदि लगाने के अधिकार पर खास नियम बना सकती है। कई पंचायतों ने कुछ नियम बनाए हैं लेकिन उनका पालन नहीं हो रहा है। अब केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए खास नियम बनाएगी, जिससे गांवों का उचित विकास हो सके।
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क्या है अनुच्छेद 243एच?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243एच पंचायतों से संबंधित वित्तीय प्रावधानों को निर्धारित करता है। यह अनुच्छेद संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से जोड़ा गया, जो पंचायतों को स्वायत्तता और वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए बनाया गया था।
अनुच्छेद 243एच की मुख्य बातें
राज्य की विधान सभा को अधिकार है कि वह पंचायतों को वित्तीय स्रोत प्रदान करने के लिए कानून बनाए। इसमें पंचायतों को निम्नलिखित के तहत राजस्व जुटाने की शक्ति दी जा सकती है..
- कर, शुल्क, टोल, और फीस लगाने की शक्ति।
- पंचायतों को दिए जाने वाले करों और शुल्कों में हिस्सा प्रदान करना।
- पंचायतों को वित्तीय अनुदान देना।पंचायतों को निम्नलिखित तरीकों से अपनी आय प्राप्त करने की अनुमति दी जा सकती है
- संपत्ति कर, बाजार शुल्क, और जल कर।
- विभिन्न योजनाओं और विकास परियोजनाओं के लिए राज्य और केंद्र सरकार से सहायता।
- राज्य वित्त आयोग की सिफारिशें।
- पंचायतों के लिए वित्तीय प्रावधानों और उनके स्रोतों को अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखा जाता है।
अनुच्छेद 243एच का उद्देश्य पंचायतों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करना है ताकि वे स्थानीय स्तर पर प्रशासन और विकास परियोजनाओं को सुचारू रूप से चला सकें। यह ग्रामीण विकास और स्वशासन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अनुच्छेद भारतीय पंचायत प्रणाली को संविधान के तहत मान्यता और मजबूती प्रदान करता है, जिससे ग्रामीण भारत में विकास योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।