उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 का दिव्य और भव्य शुभारंभ हो चुका है। यह मेला आज से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा, और इस बार करीब 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। पहले दिन से ही तीर्थराज प्रयाग में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। कुंभ मेला हर साल श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष धार्मिक अवसर होता है, लेकिन शाही स्नान के दिन यह भीड़ और बढ़ सकती है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और उम्मीदें
सूचना निदेशक शिशिर ने बताया कि शनिवार की सुबह तक संगम में स्नान करने के लिए 33 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। इसके अलावा, पिछले दो दिनों में 85 लाख से ज्यादा लोग संगम में स्नान कर चुके हैं। इस वर्ष महाकुंभ में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है, जिससे यह मेला अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक समागम बन सकता है।
महाकुंभ में उपस्थित विदेशी हस्तियां
महाकुंभ मेला में इस बार विदेशी हस्तियों की भी मौजूदगी देखने को मिल रही है। एप्पल के दिवंगत सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी प्रयागराज पहुंची हैं। वह आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज के आश्रम में पहुंचीं और वहां भारतीय परंपराओं का अनुभव लिया। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने बताया कि लॉरेन बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक हैं और उन्होंने उन्हें पिता और गुरु के रूप में सम्मान दिया है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और ‘कलाग्राम’ का उद्घाटन
महाकुंभ के दौरान प्रसिद्ध गायक कैलाश खेर, शंकर महादेवन, कविता कृष्णमूर्ति जैसे बड़े कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी। इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय ने कुंभ मेला क्षेत्र में एक जीवंत सांस्कृतिक स्थल ‘कलाग्राम’ की स्थापना की है। यह स्थल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और उन्नत संगठनात्मक क्षमताओं का अद्भुत मिश्रण दर्शाता है। कलाग्राम लगभग 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है, जो कुंभ मेला के समृद्ध सांस्कृतिक आयोजन का हिस्सा बनेगा।
कुंभ मेला और पापों से मुक्ति का विश्वास
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे पापों से मुक्ति का अवसर माना जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकला अमृत देवताओं और राक्षसों के बीच 12 वर्षों तक युद्ध का कारण बना था। इस युद्ध के दौरान अमृत की बूंदें जिन स्थानों पर गिरीं, वहीं कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। यही कारण है कि कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है। महाकुंभ का स्नान विशेष रूप से ‘शाही स्नान’ के नाम से जाना जाता है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर होता है।
शाही स्नान मुहूर्त
महाकुंभ में शाही स्नान का मुहूर्त बहुत खास होता है, और इस वर्ष इसके लिए निम्नलिखित समय निर्धारित किया गया है:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:27 बजे से 06:21 बजे तक
- प्रात: संध्या मुहूर्त: सुबह 05:54 बजे से 07:15 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:15 बजे से 02:57 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:42 बजे से 06:09 बजे तक
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महाकुंभ का यह आयोजन न केवल भारत के धार्मिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर और एकता का भी प्रतीक है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु, साधु संत और पर्यटक प्रयागराज में जुटते हैं, जो न केवल धार्मिक आस्थाओं को प्रगाढ़ करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति की महानता को भी दुनियाभर में प्रस्तुत करते हैं।