पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं. उनके इस कार्यकाल को लेकर भारत के सम्बन्ध में कई आशंकाएं उत्पन्न हो रही हैं। ट्रंप पहले भी भारत के खिलाफ टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं.
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और व्यापारिक रिश्ते
पूर्व डिपलोमैट मंजू सेठ ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि ट्रंप के इस कार्यकाल में भारत के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ेगा। ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत वह उन देशों से व्यापार घाटे को खत्म करने पर जोर देंगे, जिनसे अमेरिका को व्यापार में घाटा हो रहा है। ट्रंप ने पहले भी भारत से अमेरिका में आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, और चीन के खिलाफ भी ऐसी ही नीति अपनाई थी। वे व्यापारिक लेन-देन में हमेशा यह देखते हैं कि किस देश से अमेरिका को कितना फायदा हो रहा है और किससे नुकसान।
संरक्षणवादी नीति की संभावना
अर्थशास्त्री मनोज पंत ने भी इस संदर्भ में अपनी राय दी। उनका कहना है कि ट्रंप की नीति संरक्षणवादी हो सकती है, हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि हर मामले में यही नीति लागू होगी। ट्रंप विशेष रूप से उन देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों की समीक्षा करना चाहते हैं, जिनसे अमेरिका को सबसे ज्यादा घाटा हो रहा है, और भारत उन देशों में से एक हो सकता है। पंत का मानना है कि ट्रंप चीन, मेक्सिको और कनाडा के खिलाफ टैरिफ लगाने की बात कर रहे हैं, लेकिन ये सब केवल मोल-भाव करने के तरीके हो सकते हैं। वे व्यापारिक समझौतों में सुधार करने के लिए इन धमकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं, और भारत का निर्यात इससे ज्यादा प्रभावित नहीं होगा।
भारत के लिए चिंता के कारण
ट्रंप ने कई बार यह शिकायत की है कि भारत अमेरिकी सामानों पर उच्च टैक्स लगाता है, जबकि भारत खुद अमेरिका में अपना सामान निर्यात करता है और वहां टैक्स फ्री चाहता है। उनका कहना है कि अमेरिका के व्यापारियों को इस असमान स्थिति का सामना करना पड़ता है, जिससे अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़ता है। सितंबर 2024 में ट्रंप ने कहा था, “इंडिया बहुत मुश्किल है,” और उन्होंने ब्राज़ील को भी मुश्किल देश बताया था। यह बयान भारत और अन्य देशों के लिए चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है, खासकर जब बात व्यापारिक रिश्तों की हो।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार होता है। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका के साथ भारत का व्यापार घाटा नहीं है। इसका मतलब है कि भारत अमेरिका से ज्यादा सामान भेजता है, जबकि अमेरिका भारत से कम सामान खरीदता है। यदि ट्रंप की संरक्षणवादी नीति लागू होती है, तो इससे भारत के निर्यात को नुकसान हो सकता है, हालांकि भारत और अमेरिका के बीच अन्य कारोबारी संबंध इस असर को सीमित करने में मदद कर सकते हैं।
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ट्रंप के शपथ ग्रहण में भारत से कौन-कौन होगा शामिल?
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर से लेकर रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे।