कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर निजीकरण के माध्यम से आरक्षण को कमज़ोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में जो PSU की हुई अंधाधुन SALE, लाखों सरकारी नौकरियों जाने से आरक्षण हुआ FAIL!
जयराम रमेश ने कुछ तथ्य सामने रखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अन्याय-काल में 2.7 लाख केंद्रीय पीएसयू कर्मचारियों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की हिस्सेदारी 2013 में 19% से बढ़कर 2022 में 43% हो गई है। 1991 में विनिवेश प्रक्रिया की शुरुआत के बाद से जितने विनिवेश हुए हैं, उनमें से 72% प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में हुए हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि निजीकरण की हर पहल के साथ दलित, आदिवासी, और ओबीसी परिवारों के लिए रोज़गार में आरक्षण ख़त्म होता जाता है। कांट्रेक्चुलाइजेशन (ठेकेदारी प्रथा) दलित, आदिवासी और ओबीसी परिवारों के लिए आरक्षण से वंचित करने का एक तरीक़ा है।
पीएसयू पिछड़े क्षेत्रों के विकास और कमज़ोर समुदायों के लिए रोज़गार सृजन के माध्यम से समावेशी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भाजपा द्वारा बिना सोचे-समझे प्रधानमंत्री के कुछ मित्रों को कौड़ियों के भाव पर राज्य की संपत्तियों को सौंपना और उसके बाद बड़े पैमाने पर नौकरी के अवसर को ख़त्म करना इस बात को उजागर करता है कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए कॉर्पोरेट हित आम लोगों की भलाई से ऊपर है।निजीकरण या मुद्रीकरण का उद्देश्य आरक्षण को कमज़ोर करना है।
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50% आरक्षण सीमा तोड़ कर देश में सामाजिक न्याय कर के दिखाएंगे: राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा और नरेंद्र मोदी का अंतिम लक्ष्य वंचितों का आरक्षण छीन उसे 0% करना है, मगर हम 50% आरक्षण सीमा तोड़ कर देश में सामाजिक न्याय कर के दिखाएंगे – यह कांग्रेस की गारंटी है।
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