नेस्ले कंपनी किसी ना किसी मुद्दे को लेकर अक्सर विवादों में रहती है। मैगी को लेकर कंपनी अक्सर विवादों में रहती है। लेकिन इस बार का मामला बच्चों के फूड को लेकर है। भारत में नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट सेरेलैक (Cerelac) में बहुत मात्रा में चीनी पाए जाने का मामला सामने आया है। मामला सामने आने के बाद सरकार ने रिपोर्ट की जांच करने के आदेश दिए हैं।
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बता दें कि एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि नेस्ले भारत में बेचे जा रहे है बेबी फूड में चीनी मिला रही है। रिपोर्ट के बाद से कंपनी सरकार के निशाने पर आ गई है और सरकार ने रिपोर्ट की जांच करने को कहा है।
वहीं, ये बात भी सामने आई है कि कंपनी यूरोपीय देशों, ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड में अच्छी गुणवता के बिना चीनी वाले उत्पाद दे रही है। अब सबसे बड़ा सवाल ये कि आखिर कंपनी भारत और अन्य विकासशील देशों में चीनी वाले उत्पाद और यूरोपीय देशों में बिना चीनी और अच्छी क्वॉलिटी वाले प्रोडक्ट क्यों दे रही है।
बताते चलें कि इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) और पब्लिक आई (Public Eye) ने नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट सेरेलैक और दूध वाले प्रोडक्ट निडो (Nido) के उत्पादों की टेस्टिंग कर रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कंपनी पर आरोप लगाए हैं कि कंपनी भारत समेत विकासशील देशों में हाई शुगर वाले बेबी फूड बेचती है।
WHO ने दी चेतावनी
रिपोर्ट पर WHO ने भी अपना बयान जारी किया है। WHO ने कहा कि अगर शिशुओं को शुरूआत में ही हाई शुगर प्रोडक्ट दिए जाएंगे तो उन्हें मोटापे के साथ- साथ अन्य कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ेगा। 2022 में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने भी बेबी प्रोडक्ट्स में चीनी मिलाने पर रोक लगा दी थी तो अब नेस्ले ऐसा क्यों कर रही है।
क्या बोली कंपनी?
इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) और पब्लिक आई (Public Eye) की रिपोर्ट पर अब कंपनी का जवाब आया है। कंपनी ने कहा कि, ‘हमने पिछले पांच सालों में बच्चों के उत्पादों में शुगर की मात्रा को करीब 30 प्रतिशत कम किया है। हम हमेशा ही अच्छे गुणवत्ता वाले उत्पाद देते हैं। वो भी बच्चों की सुरक्षा और स्वाद पर बिना समझौता किए।’
अब देखना ये है कि सरकार ने जो जांच के आदेश दिए हैं उससे क्या निष्कर्ष निकलता है।