भारतीय चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक कर दी है। जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में हलचलें तेज हो गई हैं। क्योंकि ये जानकारी ऐस समय पर सार्वजनिक हुई हैं जब लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर ये जानकारी शेयर की है।
जिसमें चुनावी चंदा देने वाली टॉप कंपनियों के नाम भी सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के निर्देश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 12 मार्च को चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) से जुड़ा डाटा चुनाव आयोग को दे दिया था। जिसके बाद से चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर ये जानकारी शेयर की है।
अब सवाल ये कि आखिर ये इलेक्टोरल बॉन्ड होते क्या हैं जिसने इतना तहलका मचाया हुआ है। एक इलेक्टोरल बॉन्ड की कीमत कितनी होती है और किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड दिए जाते हैं? इन सब सवालों के जवाब आपको आज इस आर्टिकल में मिलेगा।
क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड, कब हुई थी शुरूआत?
चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों को अपनी बात जनता कर पहुंचाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। और राजनीतिक पार्टियों के पास ये पैसा चंदे से आता है। राजनीतिक दलों को चंदा देने के जरिए को ही इलेक्टोरल बॉन्ड कहते हैं। इस चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई भी शख्स या कंपनी अनलिमिटेड पैसा किसी भी पार्टी को दे सकती है।
वो भी बिना किसी को जानकारी दिए। यानी इसकी जानकारी इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को भी बताने की जरूरत नहीं होती है।चुनावी बॉन्ड को 2017 में पेश किया गया था। 29 जनवरी, 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 2018 को अधिसूचित किया था। और तभी से इसकी शुरुआत हुई।
इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए किन पार्टियों को मिल सकता है फंड?
रजिस्टर्ड और पिछले आम चुनाव या विधानसभा चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट पाने वाली राजनीतिक पार्टियों को ही इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए फंडिग मिल सकती है। बता दें कि लिस्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए का चंदा मिला है। वहीं, लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस और तीसरे नंबर पर कांग्रेस का नाम है।
कितना होता है मूल्य
इलेक्टोरल बॉन्ड को अलग-अलग मूल्य वर्गों में रखा गया है। जिनकी कीमत 1000 से एक करोड़ रूपये तक होती है। ये एक हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रूपयों के मूल्य वर्गों में होते हैं।
कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। कपिल सिब्बल ने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘कहीं ना कहीं लाभ के बदले लाभ देने का काम चल रहा था’। अपने ट्वीट में कपिल सिब्बल ने बिना नाम लिए पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, ‘किसी ने कहा था- ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’। बता दें कि पीएम मोदी ने 2014 के चुनाव से पहले ये बात कही थी।